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चौरासी (Chaurasi)

 

“चौरासी (Chaurasi)”

प्रेम कोई प्रमेय नहीं जो निश्चित साँचे में ही सिद्ध होता है। प्रेम अपरिमेय है।"

“चौरासी (Chaurasi)” सत्य व्यास का लिखा तीसरा उपन्यास है। इससे पहले सत्य व्यास बनारस टॉकीज और दिल्ली दरबार लिख चुके है। “चौरासी (Chaurasi)”  सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित बोकारो शहर में साधारण प्रेम वाली एक असाधारण प्रेम कहानी। आमतौर पर प्रेम कहानियों में लड़का और लड़की दोनों के बीच प्रेम होता है और कहानी के अंत में या तो दोनों मिलते है, या बिछड़ते हैं। “चौरासी (Chaurasi)” की  प्रेम कहानी  में  दो प्रेमी प्रेमिका के मिलन के बीच देश-दुनिया में बहुत कुछ घट रहा होता है, जिससे उनका प्यार सीधे तौर पर प्रभावित होता है।

“चौरासी (Chaurasi)” उपन्यास का नायक “ऋषि” जो बिना माँ- बाप का अकेला लड़का हैं और अपना खर्चा ट्यूशन पढ़ा के चलता है। तथा नायिका “मनु” के घर मे एक कमरा किराये पर ले के रहता हैं । ऋषि सरल, सीधा, मेघावी और कामकाजी लड़का हैं, केवल मोहल्ले के मोड़ तक, मोड़ से निकलते ही ऋषि उच्छंखल है । इस घर में ऋषि के अलावा मनु, मनु की माँ और मनु के पिता छाबड़ा साहब रहते है। मनु मन-ही-मन  ऋषि को चाहने लगती है, और ऋषि से ट्यूशन पढ़ने लगती है, किन्तु मनु का उद्देश्य पढ़ना कम और ऋषि के साथ चुहल करना ज्यादा है । पुस्तक के  आधे भाग तक ऋषि और मनु की खुबसूरत प्रेम कहानी चलती है और 31 अक्तूबर 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी के निधन के पश्चात बोकारो शहर में हुए दंगों से ऋषि और मनु की खुबसूरत प्रेम कहानी  के बीच घोर राजनीतिक दखल हो जाता है। जो दो लोगों की दुनिया ही बदल देता है।

    मुझे लगता है, “चौरासी (Chaurasi)” उपन्यास सिटिंग में पढ़ा जाना चाहिए। पहला जब ऋषि और मनु का खुबसूरत प्रेम पनप रहा होता है। जिसमें एक दूसरे के लिए आकर्षण, फिक्र, संकोच और लोगों की चिंता सब साथ-साथ जन्म ले रही है। इन सबको को पीछे छोड़कर ऋषि और मनु के बीच की दूरी न के ब्रारबर होती है। और दूसरा भाग 31 अक्टूबर 1984 की तारीख से शुरू होता है। ये भाग बेचैन करदेता है। जिसमे आप ऋषि और मनु को थोड़ी देर के लिए छोड़ देते हैं। बोकारो शहर में उस रात का मंजर बेचैन कर देता है। आप भी डरे हुए और आशंकित मह्सूस करेगे ही। साथ में मनु का परिवार व बोकारो शहर  के सभी सिखों के लिए, यही डर और आशंका पैदा कर देना सत्य व्यास के लेखन की सफलता है।

            “चौरासी (Chaurasi)” उपन्यास भाषा सरल है,  और कहानी में जगह-जगह पर आए पंजाबी शब्द और गाने पाठक आनदं को बढ़ने में सफल रहते है। उपन्यास में दो बातें बहुत खूबसूरत लगी। पहली इसके अध्याय के नाम। हर अध्याय शुरू होने से पहले एक कथ्य में ही सार सुना देता है। और दूसरा उपन्यास का अंत, कहानी ख़तम होने के बाद के कल्पना के घोड़े दौड़ाने लगते हैं, लेकिन अंत तक असमंजस में रहते हैं। कहानी खत्म होने के बाद भी एक सवाल छोड़ जाती है। मुझे लगता है कि “चौरासी (Chaurasi)”  एक बार पढ़ी जानी चाहिए...!!

-: “चौरासी (Chaurasi)” उपन्यास की कुछ आकर्षित करने वाली लाइने :-

 “ब्याह औरतो से आँगन छीनता है और व्यापार मर्दों से गाँव”

“कर्मठ इंसान के लिए क्या देश क्या परदेश”

"प्रेम कोई प्रमेय नहीं जो निश्चित साँचे में ही सिद्ध होता है। प्रेम अपरिमेय है।"

“दुनिया का समस्त ज्ञान व्यर्थ है यदि आप स्त्री मन को नही पढ़ पाते ”

 पुस्तक: चौरासी

लेखक: सत्य व्यास

प्रकाशक: हिन्द युग्म

आई एस बी एन (ISBN)-  978-93-87464-25-4

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