Home in the World: A Memoir: Amartya Sen | होम इन दा वर्ल्ड: अमर्त्य सेन
होम इन दा वर्ल्ड (Home in the World: A Memoir) किताब में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने अपना संस्मरण लिखा है । इस बुक का प्रकाशन जुलाई में पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा किया जाएगा । यह पुस्तक अमर्त्य सेन (Amartya Sen) के विचारों की पुस्तक है, जिसमे अमर्त्य सेन (Amartya Sen) बताते हैं, कि कैसे रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने उन्हें अपना नाम अमर्त्य दिया था । वह कलकत्ता के प्रसिद्ध कॉफी हाउस और कैम्ब्रिज में बातचीत और मार्क्स, कीन्स और एरो के विचारों को भी याद किया हैं ।
होम इन दा वर्ल्ड
(Home in the World: A Memoir)
किताब में अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने 'बंगाल
की नदियों' का उदाहरण देते हैं, अपने माता-पिता के साथ
ढाका और उनके पैतृक गांवों के बीच यात्रा, बंगाल की ऐतिहासिक संस्कृति, हिंदू-मुस्लिम शत्रुता की राजनीतिक जलन और इसके
प्रतिरोध, 1943 में बंगाल के अकाल आदि का वर्णन किया है।
Book Name :
होम इन दा वर्ल्ड (Home
in the World: A Memoir)
Publisher :
Penguin Books Limited
ISBN No. :
9781846144868
Page : 480
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अमर्त्य सेन (Amartya
Sen) हार्वर्ड में अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के
प्रोफेसर हैं। वह 1998 से 2004 तक कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के मास्टर थे।
अमर्त्य सेन (Amartya Sen) को 1998 में अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार और 1999
में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था । अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवम्बर,
1933 को कोलकाता के शांति निकेतन के एक बंगाली
परिवार में हुआ था। उनके पिता आशुतोष सेन और माता अमिता सेन थी । गुरु रविन्द्र
नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने अमर्त्य का नामकरण किया था।
अमर्त्य सेन (Amartya Sen) की अन्य पुस्तकें डेवलपमेंट ऐज़ फ़्रीडम | Development
as Freedom (1999),
द आर्गुमेंटेटिव इंडियन | The
Argumentative Indian (2005),
आइडेंटिटी एंड वायलेंस: द इल्यूजन ऑफ़ डेस्टिनी
| Identity and Violence: The Illusion of
Destiny (2007),
और द आइडिया ऑफ जस्टिस |
The Idea of Justice (2010)
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